बुधवार, 9 मई 2012

युवती जली , मौत 
राजनांदगांव..गं डाई के महामाई पारा में आज रात एक मकान में आग लगने 
से एक सत्रह साल की युवती जल गयी जिससे उसकी मृत्यु  हो गयी . 
बताया जाता है कि युवती पूजा घर में दिया बत्ती  कर रही थी .भगवान के सामने 
टेबल पर रखे लेम्प से उसे करेंट लग गया और उसके हाथ से दिया छुट गया .दिया 
छूटने से टेबल में रखे कपडे में आग पकड़ लिया जिससे युवती तो जल ही गयी .
मकान भी जल गया .

शनिवार, 5 मई 2012

मेरी मुलाक़ात
मेरी उसकी मुलाक़ात एक मित्र के यहाँ हुई थी , याद है मुझे उसका कड़क पन ,उसकी गरमाई .
मै  उसे जब देखा तो वो मुझे आमंत्रित करती नजर आई . मैंने उसे देखते ही समझ लिया कि
वो मेरी है और मेरे ही लिए आई है . मैंने उसे उठाया और ओठों से लगा लिया . उसकी वो मिठास
मुझे भा गयी . उसके बाद तो वो मेरी हो गयी और मै उसका हो गया , आप लोग गलत मत समझिये
मै जिसके बारे में कह रहा हूँ वो कोई और नहीं गरमा गर्म चाय थी -है और रहेगी   

शुक्रवार, 4 मई 2012

हवलदार  को चाकू मारा
राजनंदगांव में एक प्रधान आरक्षक को एक पाकिट मार  ने आज चाकू मारकर घायल कर दिया  .
उसे गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है .उसकी हालत खतरे से बाहार बतायी जाती है .
जिला चिकित्सालय में उसका इलाज चल रहा है . पाकिटमार फरार है . उसकी पुलिस सरगर्मी से तलाश कर  रही है . मामले की जाँच चल रही है ....... 

गुरुवार, 3 मई 2012

  1. छूटे एलेक्स  पाल मेनन  
कलेक्टर  एलेक्स पाल को आज नक्सलियों ने रिहा कर दिया जो एक अच्छी बात हैं अब सरकार को चाहिए कि वह आला अधिकारियों की सुरक्षा के लिए विशेष ध्यान दे . ताकि फिर किसी अधिकारी को कोई कलेक्टर अगवा न हो सके      

मंगलवार, 1 मई 2012

सुकमा कलेक्टर एलेक्स  पाल  की रिहाई
 सुकमा के कलेक्टर को नक्सलियों द्वारा छोड़े जाने की घोषणा निश्चय ही खुशखबरी  है . नक्सलियों को शांति का रास्ता अख्तियार करना चाहिए . दहशत से कोई दिलों में राज नहीं कर सकता ? इस के लिए तो प्यार और शांति का मार्ग चुनना चाहिए . वार्ता का रास्ता सबसे अच्छा रास्ता है    

गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

अभी-अभी...

... सुकमा कलेक्टर अलेक्स पाल मेनन के अपहरण के बाद छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश की राजनीती में भूचाल आ गया है ... एक ओर जहाँ शहीदों के परिजन नक्सलियों की मांग को दबावपूर्ण बता रहें हैं वहीँ दूसरी ओर राजनेताओं व अधिकारीयों के बीच मंथन का दौर चल रहा है.. 
सवाल यह उठता है कि क्या नक्सलियों की मांग मान ली जाये.... या फिर कलेक्टर को छुड़ाने के लिए दूसरा तरीका अपनाया जाये....